पिछले कुछ दिन हरक ने जो कहा किया उससे कांग्रेस में बवाल मचा है। हरदा ने भी हरक को माफ नहीं किया। मार्च 2016 में उनकी सरकार को संकट में डाल आठ विधायकों समेत कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। |
देहरादून : Uttarakhand Politics : पिछले हफ्ते कहा था कि पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की खामोशी कहीं किसी तूफान का संकेत तो नहीं। लगता है उन्होंने दिल पर ले लिया। नतीजा, पिछले कुछ दिन हरक ने जो कहा, किया, उससे कांग्रेस में बवाल मचा है। उनकी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से कभी बनी नहीं। मार्च 2016 में उनकी सरकार को संकट में डाल आठ विधायकों समेत कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था।
हरदा ने भी हरक को माफ नहीं किया। यह बात अलग है कि चुनाव से पहले जब भाजपा से निकल हरक कांग्रेस के दरवाजे पर खड़े थे, तब हरदा को मन मसोस कर हां करनी पड़ी। हरक बड़े भाई-बड़े भाई की गुहार जो लगा रहे थे। कांग्रेस ने टिकट फिर भी नहीं दिया। अब छह महीने बाद हरक ने सबसे पहला निशाना हरदा पर ही साधा और एलान कर दिया कि लोकसभा चुनाव तो हरिद्वार से ही लड़ेंगे। हरदा, आगे क्या।
सच क्या है, सरकार ही जाने
नौकरशाही में फेरबदल शासन की कार्यप्रणाली का हिस्सा है, लेकिन कभी-कभी ऐसा कुछ घटता है कि इसके पीछे के कारणों पर चर्चा शुरू हो जाती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी दूसरी पारी में अब तक व्यापक बदलाव किए। हाल ही में 50 नौकरशाहों को इधर-उधर किया गया, लेकिन अब राजधानी देहरादून के डीएम और एसएसपी को आनन-फानन जिस तरह हटाया गया, उसने कई कयासों को जन्म दे दिया।
शनिवार दोपहर तक डीएम आर राजेश कुमार हरेला पर्व पर पौधारोपण कार्यक्रम में व्यस्त थे, तो एसएसपी जन्मेजय खंडूड़ी भी रोजाना की तरह ड्यूटी पर। इधर, दोपहर में मुख्यमंत्री धामी ने अल्मोड़ा के लिए उड़ान भरी, उधर दोनों के तबादला आदेश अचानक जारी हो गए। अमूमन आइएएस व आइपीएस अधिकारियों के तबादले अलग-अलग होते हैं, लिहाजा इसने सबको चौंकाया। मीडिया, इंटरनेट मीडिया और सत्ता के गलियारों में इसकी अलग-अलग तरह से व्याख्या चल रही है, सच तो सरकार ही जाने।
पंचायत चुनाव की तैयारी, शुरू सेंधमारी
कांग्रेस के हरक सिंह रावत ने हरिद्वार से चुनाव लड़ने को ताल ठोकी, उधर भाजपा ने विपक्ष में सेंधमारी शुरू कर दी। विपक्ष में कांग्रेस के साथ बसपा है। इन दोनों ही दलों के दर्जनों नेताओं ने पिछले तीन-चार दिनों में भाजपा की सदस्यता ली है। यद्यपि, इनमें विधानसभा चुनाव लड़े कुछ प्रत्याशी और जिला स्तर के ही नेता शामिल रहे।
वैसे, भाजपा ने यह पैंतरा लोकसभा चुनाव से पहले हरिद्वार जिले में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए चला। इस विधानसभा चुनाव में हरिद्वार में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा, लिहाजा तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। चुनाव के दौरान भाजपा के कुछ प्रत्याशियों ने यहां भितरघात के आरोप लगाकर राजनीतिक गलियारों में सनसनी पैदा कर दी थी, जिस पर बाकायदा जांच तक बैठी। फिर दो-तिहाई बहुमत से सत्ता में वापसी हो गई, तो बीती बातें बिसार दी गईं। अब पंचायत चुनाव पर रहेगी नजर।
राष्ट्रपति चुनाव को 51-19 का आंकड़ा
राष्ट्रपति चुनाव के लिए सोमवार को मतदान होगा। उत्तराखंड में भी इसके लिए पूरी तैयारी है। यहां विधानसभा के 70 सदस्य अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। संख्याबल के आधार पर देखें तो राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को दो-तिहाई मत मिलने पहले से ही तय थे। 70 में से भाजपा के विधायक 47, जबकि कांग्रेस के 19 हैं। दो निर्दलीय व बसपा के दो विधायक भी मतदान करेंगे।
भाजपा की उपलब्धि यह रही कि निर्दलीय व बसपा के विधायकों ने मुर्मू के पक्ष में मतदान का निर्णय लिया है। यानी, अब राजग प्रत्याशी के पक्ष में 70 में से 51 विधायक हैं। रविवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय में मतदान की माक ड्रिल आयोजित की गई और इसमें निर्दलीय व बसपा विधायक भी शामिल हुए। उधर, विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को कांग्रेस के 19 विधायकों का साथ मिलेगा। कांग्रेस ने भी रविवार को विधायक दल की बैठक कर रणनीति तय की।