कढ़ी पत्ते को मीठी नीम का पत्ता भी कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल भारतीय खाने में खूब होती है। कढ़ी पत्ता खाने को और मज़ेदार बनाता है। खासतौर पर दक्षिणी भारतीय खाने में इसका इस्तेमाल खूब होता है। दाल में तड़का लगाना हो, सब्ज़ी में डालना हो या फिर खिचड़ी में, कढ़ी पत्ता सांभर और उपमा में भी डाला जाता है। हालांकि, कढ़ी पत्ता सिर्फ खाने के स्वाद के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि इसका सेवन ब्लड शुगर स्तर को कंट्रोल करने का काम भी करता है।
ब्लड शुगर को कंट्रोल करना डायबिटीज़ में बेहद ज़रूरी हो जाता है। इसके अलावा कढ़ी पत्ता, पाचन, दिल की सेहत और त्वचा व बालों को बेहतर बनाने का काम भी करता है।
डायबिटीज़ को ऐसे मैनेज करता है कढ़ी पत्ता
रोज़ाना अगर कढ़ी पत्ते का सेवन किया जाए, तो इससे ब्लड शुगर के उच्च स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है। कड़ी पत्ता कई एंटीऑक्सीडेंट्स, खासतौर पर फ्लेवोनोइड्स से भरपूर होते हैं। ये फ्लेवोनोइड शरीर के अंदर स्टार्च के ग्लूकोज में चयापचय को रोकते हैं और इस तरह ब्लड शुगर के नियंत्रण में मदद करते हैं।
ब्लड शुगर के स्तर को ऐसे कंट्रोल करता है कढ़ी पत्ता
इंसुलिन के इस्तेमाल में करता है मदद
इंसुलिन पैंक्रियाज नाम के अंग से उत्पन्न होता है और शरीर में खून से चीनी को तोड़ने में मदद करता है और इस तरह शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है। जब हमारा शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, तो इसका नतीजा डायबिटीज़ होती है। कढ़ी पत्ता इस इंसुलिन के उपयोग में मदद करता है, जिससे ब्लड में शुगर का स्तर कंट्रोल में आ जाता है।
एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक गुण
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि कढ़ी पत्ते में एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक गुण होते हैं, जो चूहों में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं।
कढ़ी पत्ते फाइबर से भरपूर होते हैं
पाइबर से भरपूर फूड्स डायबिटीज़ में फायदेमंद साबित होते हैं। वे शरीर में शर्करा के अवशोषण को धीमा करने में मदद कर सकते हैं, जिससे रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।