लद्दाख के बाद अब उत्तराखंड में भी नेवले की प्रजाति माउंटेन वीजल के संरक्षण को कदम उठाए जाएंगे। उच्च हिमालयी क्षेत्र में पारिस्थितकीय संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस वन्यजीव की राज्य में स्थिति का अध्ययन कर इसके संरक्षण के लिए कदम उठाने के प्रस्ताव को वन विभाग की अनुसंधान सलाहकार समिति (आरएसी) ने हरी झंडी दे दी है।
इन स्थानों पर होगा अध्ययन शुरू
विभाग की अनुसंधान शाखा ने इसके लिए पांच वर्षीय कार्ययोजना तैयार की है। मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी के अनुसार जल्द ही बदरीनाथ, हरकी दून, हर्षिल समेत अन्य स्थानों पर माउंटेन वीजल (Mountain Weasel) का अध्ययन शुरु किया जाएगा।
एकांतप्रिय प्राणी है माउंटेन वीजल
सामान्य तौर पर दिखने वाले नेवलों से कुछ अलग माउंटेन वीजल के बारे में लोग कम ही जानकारी रखते हैं। पतला शरीर और गर्दन, छोटे पैर और छोटे सिर वाला माउंटेन वीजल छोटा और एकांतप्रिय स्तनधारी प्राणी है। मस्टेलिडे परिवार का यह जीव दिखने में खूबसूरत भी है।
यहां पाई जाती इसकी चार प्रजातियां
उत्तराखंड में इसकी चार प्रजातियां पाई जाती हैं। यह उच्च हिमालयी क्षेत्र में चूहे, पीका जैसी प्रजातियों का शिकार कर इनकी संख्या को विनियमित करने में प्राकृतिक रूप से मददगार भी है।
माउंटेन वीजल के बारे में नहीं हैं आंकड़े
बावजूद इसके इसके राज्य में माउंटेन वीजल की स्थिति, संख्या आदि को लेकर कोई आंकड़ा नहीं है, जबकि लद्दाख में यह संरक्षित श्रेणी में है और वहां हीमेज नेशनल पार्क में इसके संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। अब इसी तरह की पहल उत्तराखंड में भी होने जा रही है।
वन विभाग के अनुसंधान वृत्त की ओर से इस संबंध में तैयार प्रोजेक्ट को विभाग की अनुसंधान सलाहकार समिति ने स्वीकृति दे दी है। मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त ने इसकी पुष्टि की। प्रोजेक्ट पूर्ण करने को पांच साल की अवधि तय की गई है। इसमें कुल 18.65 लाख रुपये की राशि खर्च होगी।
इन बिंदुओं पर होगा अध्ययन
- माउंटेन वीजल के वासस्थलों की स्थिति
- इनकी संभावित संख्या का अनुमान
- वीजल्स के लिए खतरों की पहचान
- वासस्थलों में खतरा पैदा करने वाले कारक
- अध्ययन के बाद इसके संरक्षण को ठोस रणनीति
संजीव चतुर्वेदी (मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त) ने बताया कि माउंटेन वीजल के पारिस्थितकीय महत्व को देखते हुए इसका संरक्षण आवश्यक है। राज्य स्तरीय अध्ययन से इस प्रजाति की निगरानी के लिए कदम उठाए जा सकेंगे। अध्ययन पूर्ण होने पर इसके आधार माउंटेन वीजल के संरक्षण को यहां भी लद्दाख की भांति कदम उठाए जाएंगे।